बरसाने जैसी हो होली

बरसाने जैसी हो होली

गीत✍️ उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट 

कहाँ रंग में भंग पड़ेगा
नंद- गाँव- सी हो जब टोली
बन जाए मन वृंदावन तो
बरसाने जैसी हो होली।
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मिले बहाना जब होली का  
मर्यादा की हद मत तोड़ो
भाभी,सलहज हों या साली 
सद्भावों से नाते जोड़ो
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बाँटो उनकी पीड़ाओं को 
भीगीं जो अश्कों से चोली
बन जाए मन वृंदावन तो
बरसाने जैसी हो होली।
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फटे हुए हों कपड़े जिनके
उनको भी अब गले लगाओ
दिखें सुदामा ऐसे जब भी
कृष्ण सरीखा साथ निभाओ 
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रहो दर्प से दूर सदा ही 
मिसरी- सी मीठी हो बोली 
बन जाए मन वृंदावन तो
बरसाने जैसी हो होली।
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घूमे राधा आजादी से
बर्बरता के जंगल काटो
प्रेम- रंग में रँगो सभी को
भेदभाव की खाई पाटो
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छले आस्था कभी नहीं फिर 
भर जाए खुशियों से झोली
बन जाए मन वृंदावन तो
बरसाने जैसी हो होली।
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'कुमुद- निवास',बरेली (उत्तर प्रदेश )
मोबा.- 9837944187

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3 Comments

Mohammed urooj khan

18-Mar-2024 01:22 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Varsha_Upadhyay

16-Mar-2024 10:44 PM

Nice

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Gunjan Kamal

16-Mar-2024 09:03 PM

बहुत खूब

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